बाजार में रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम भले ही आसमान छू रहे हैं, लेकिन महंगाई दर शून्य के और करीब पहुंचती जा रही है। जनता महंगाई की मार से बेहाल है और सरकार आंकड़ों के भरोसे अपनी पीठ ठोक रही है।
सरकार भले ही अपने मुंह मियां मिठ्ठू बन ले, लेकिन जनता इसे कैसे भूल सकती है। किसी राजनीतिक दल ने चुनाव में भले ही इसे मुद्दा नहीं बनाया हो, लेकिन जनता वोट देते वक्त इसे जरूर ध्यान में रखेगी।
चार अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में म्रुास्फीति घटकर 0.18 फीसदी रह गई, इसके उलट फल एवं सब्जियों, दाल, ईंधन और खाद्य तेलों के महंगा होने का क्रम जारी रहा। खाद्य वस्तुओं में फल एवं सब्जियों, अरहर, उड़द, मूंग और चना आलोच्य सप्ताह में महंगे हुए। म्रुास्फीति का पिछले तीन दशकों में यह सबसे न्यूनतम स्तर है।
बहरहाल आंकड़ों में महंगाई का लगातार गिरना और वास्तविकता में खाद्य पदार्थो के दामों का आसमान छूना, जनता के साथ मजाक नहीं तो क्या है।
3 comments:
ab aaphee bataaiye Hasun yaa roun??? yah India kaa arth shastra hai ,bhai
ab aap hee batayen hasen ya royen ??? yah India kaa arth shastra hai,bhai
अर्थशास्त्र के नियम परिवर्तित करने होंगे .. वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि का मतलब महंगाई दर में कमी और वस्तुओं के मूल्य में कमी का मतलब महंगाई दर में वृद्धि होता है।
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