Tuesday, June 2, 2009
सपोले पालना भारत की आदत बन गई है
यह विडंबना ही है कि सपोले पालना भारत की आदत बन गई है। जो लोग भारत माता के सीने को चीरने की बात करते हैं, उन्हें रसद पानी की आपूर्ति करने में भारत के ही लोग सबसे आगे रहते हैं। इसी का उदाहरण है कस्साब को बचाने के लिए जिरह कर रहे वकील के सौगात देने की सरकार ने तैयारी कर ली है। अभी तक सरकार कस्साब की दामाद की तरह खातिरदारी कर रही थी, अब उसका वकील भी मौज करेगा। वकील 26/11 के आतंकाी हमले के मुख्य आरोपी मोहम्म अजमल आमिर कस्साब के कील अब्बास काजमी को महाराष्ट्र सरकार मेहनताने के रूप में प्रतिनि ढाई हजार रुपए ेगी। मामले की सुनाई हर हफ्ते सोमार से शुक्रार तक पांच नि होगी। कस्साब का बचा करने के लिए फीस के रूप में काजमी को हर हफ्ते 12,500 रुपए और हर महीने 50 हजार रुपए का भुगतान किया जाएगा।
आगे-आगे देखिए जनाब क्या-क्या देखने को मिलता है। शायद कस्साब और उसके वकील के लिए देश में ही स्वागत समारोह भी होने लगें।
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2 comments:
लोकतंत्र में कई तंत्र रहते है जिसमे एक सपोला तंत्र भी है इन सपोलो से बस निपटाना हमें है यही हमारी नियति है .
लोकतंत्र में कई तंत्र रहते है जिसमे एक सपोला तंत्र भी है इन सपोलो से बस निपटाना हमें है यही हमारी नियति है .
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