Wednesday, April 22, 2009

माया को पीएम बनाओ, देश का बंटाधार करो

सोशल इंजीनियरिंग के बल पर यूपी की सत्ता पर काबिज होने वाली मायावती विदेशी मीडिया को फूटी आंख नहीं सुहाती हैं। भले ही माया सर्वसमाज की बात करने का दावा करें लेकिन विदेशी मीडिया उन्हें समाज में फूट डालने वाली नेता मान रहा है। इतना ही नहीं अब तक कई बार माया के अल्प विदेशी ज्ञान पर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। ऐसे में वह किस योग्यता के आधार पर देश के प्रधानमंत्री बनने का दावा कर रही हैं। इतना तो तय है कि माया के पीएम बनने पर देश का बंटाधार होना तय है।
अमेरिकी पत्रिका न्यूजवीक के ताजा अंक में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती को समाज में फूट डालने वाली बड़ी नेता और ‘ओबामा का विलोम बताया है। पत्निका में कहा गया है कि इसमें कोई शक नहीं कि मायावती और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा में कुछ बातें एक समान भी हैं। मायावती भारत में उम्रदराज नेताओं की तुलना में अपेक्षाकृत युवा कही जा सकती हैं और वह अमेरिकी चुनाव से पहले के ओबामा के मुकाबले स्थापित व्यवस्था के लिए कहीं बड़ा खतरा और उनसे कहीं बड़ी ‘छुपी रुस्तमज् साबित हो सकती हैं। पत्रिका ने कहा कि ओबामा ने नस्ल, परम्परागत विचारधारा और अमेरिका में भ्रष्ट हथकंडों से ऊपर उठने वाली राजनीति का वादा किया था जबकि मायावती की ताकत वर्चस्ववादी वर्ग संघर्ष की बुनियाद पर ही टिकी है।
पत्रिका ने विदेश मामलों में मायावती के अल्पज्ञान की ओर भी इशारा किया है। ओबामा की अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की बेहतरीन समझ के सामने मायावती कहीं नहीं ठहरतीं। न्यूजवीक का कहना है कि मायावती विदेशी मामलों पर बोलती ही नहीं हैं और जब वे इस बारे में कुछ बोलती भी हैं तो इस कदर अस्पष्ट होती हैं जिसका कोई मतलब नहीं निकाला जा सकता। न्यूजवीक ने पुराने भाषणों और फैसलों के आधार पर मायावती को समाज में फूट डालने वाली नेता बताया है। इसके लिए सरकारी नौकरी में एक हजार अगड़ी जाति के कर्मचारियों के स्थान पर दलितों की नियुक्ति के फैसले का हवाला दिया गया है। इसी तरह दलित आबादी वाले गांवों को अंबेडकर ग्राम घोषित कर इनके विकास को ज्यादा तरजीह देना तथा अगड़ी जातियों वाले गांवों की उपेक्षा का भी उदाहरण दिया गया है। पत्रिका के अनुसार उनके अब तक कार्यकालों में इस तरह के तमाम भेदभावपूर्ण फैसलों के बावजूद उत्तर प्रदेश में दलितों की स्थिति में ना के बराबर सुधार आया है।