Thursday, June 4, 2009

असली रंग में आया पाकिस्तान




सईद की रिहाई ने पाकिस्तान के असली सियासी चेहरे को बेनकाब कर दिया है।

सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित जमात-उद-दावा के प्रमुख और अवैध घोषित लश्कर-ए-तोइबा के संस्थापक हाफिज मुहम्मद सईद की सबूतों के अभाव में लाहौर हाईकोर्ट द्वारा रिहाई ने पाकिस्तान के असली सियासी चेहरे को बेनकाब कर दिया है। सईद मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता है, जिसका जिक्र पाकिस्तानी आतंकवादी कस्साब ने भी अपने बयान में किया है। भारत में लश्कर के हर हमले के पीछे सईद का हाथ बताया जाता है। 26/11 के बाद पाकिस्तान ने उसे घर में नजर बंद कर दिया था लेकिन अदालत में सरकारी वकील की लचर दलीलों की वजह से उसको छोड़ दिया गया। ऊपर से पाकिस्तान यह कह रहा है कि इस रिहाई के लिए भारत ही जिम्मेदार है क्योंकि उसने मामले में सहयोग नहीं किया। पाकिस्तान अपनी कमजोरी का ठीकरा भारत के सिर फोड़ना चाहता है। लेकिन उसे मालूम है कि सईद की रिहाई का अतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्या असर पड़ेगा। शायद इसीलिए पंजाब की प्रांतीय सरकार ने रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने का फैसला किया है। भले ही यह कदम दिखावे के लिए हो, लेकिन पाकिस्तान अंतराष्ट्रीय स्तर पर यह कह सकता है कि उसने संविधान के तहत कार्रवाई की। पाकिस्तान ने जानबूझकर हाईकोर्ट के सामने सईद के मामले को कमजोर करके पेश किया और बदनाम भारत को कर रहा है। लगे हाथ पाकिस्तान ने आतंकवाद के साथ कश्मीर मसले को जोड़ दिया है। प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा है कि कश्मीर मसला हल होने पर ही स्थायी शांति स्थापित हो सकती है। उन्होंने राष्ट्रसंघ प्रस्ताव और कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार की बात उठाकर निहायत ही बचकानेपन का परिचय दिया है। उनकी यह टिप्पणी किसी भी रूप से जायज नहीं कही जा सकती। पाकिस्तानी रहनुमाओं के लिए कश्मीर एक झुनझुना है, जिसे वे जनता के सामने समय-समय पर बजाते रहते हैं। वहां की जनता इससे खुश हो जाती है। रही बात गिलानी की तो बयान बदलने में उनसे ज्यादा माहिर कोई नहीं। मुंबई हमले के बाद से उनके तमाम बयान इस बात के ठोस सबूत हैं। सईद की रिहाई वैसे भी पाकिस्तान के लिए परेशानी का सबब बनने वाली है। तालिबान के साथ मिलकर लश्कर भी अपने हमले तेज करेगा और उसका खामियाजा बेगुनाहों को भुगतना पड़ेगा। भारत के लिए अच्छा यही होगा कि आतंकवाद के मुद्दे पर वह पाकिस्तान के किसी बहकावे में न आए और अपना दबाव बनाए रखे।

(आज समाज से साभार)