
छोटे-छोटे अपराधों के लिए हर साल लाखों कैदियों को देश की जेलों में ठूंसा जाता है। लेकिन जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने वाले बड़े अपराधी मौज करते देखे जाते हैं। इसलिए बोफोर्स घोटाला छोटे अपराधियों के लिए सबक ही है कि करो तो बड़े घोटाले। उसके बाद अदालत में मामला, फिर राजनीति और मीडिया में छा जाना। राजनीति में कामयाब रहे तो बरी या फिर कुछ सालों की सजा।
जैसा कि बोफोर्स घोटाले में हुआ। 80 के दशक में गरीब भारत की जनता की गाढ़ी कमाई के 150 अरब रुपए रिश्वत के रूप में दे दिए गए। इटली के ओतावियो क्वात्रोच्चि, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, तीन हिन्दुजा बंधु, रक्षा सचिव आदि कई लोग आरोपी भी बने। लेकिन सरकार के सीबीआई नामक हथियार के सहारे धीरे-धीरे सभी बरी भी होते गए। सीबीआई ने एक मात्र मुख्य आरोपी माने जा रहे क्वात्रोच्चि को लगभग पाक-साफ करार दे दिया। जिसका खुलासा हाल ही में हुआ। यहां सवाल उठता है कि अगर कोई भी दोषी नहीं है तो देश का 150 अरब रुपया कहां गया।
ऐसे में बोफोर्स घोटाले से छोटे अपराधियों को सबक लेना चाहिए कि बड़े अपराधों को ही तरजीह दें। कोई दिक्कत हो तो किसी भी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर लें। अगर कांग्रेस में शामिल हों तो कुछ बेहतर रहेगा। फिर किसी भी दल में राजनीति का विकल्प हमेशा के लिए खुल जाएगा।
जैसा कि बोफोर्स घोटाले में हुआ। 80 के दशक में गरीब भारत की जनता की गाढ़ी कमाई के 150 अरब रुपए रिश्वत के रूप में दे दिए गए। इटली के ओतावियो क्वात्रोच्चि, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, तीन हिन्दुजा बंधु, रक्षा सचिव आदि कई लोग आरोपी भी बने। लेकिन सरकार के सीबीआई नामक हथियार के सहारे धीरे-धीरे सभी बरी भी होते गए। सीबीआई ने एक मात्र मुख्य आरोपी माने जा रहे क्वात्रोच्चि को लगभग पाक-साफ करार दे दिया। जिसका खुलासा हाल ही में हुआ। यहां सवाल उठता है कि अगर कोई भी दोषी नहीं है तो देश का 150 अरब रुपया कहां गया।
ऐसे में बोफोर्स घोटाले से छोटे अपराधियों को सबक लेना चाहिए कि बड़े अपराधों को ही तरजीह दें। कोई दिक्कत हो तो किसी भी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर लें। अगर कांग्रेस में शामिल हों तो कुछ बेहतर रहेगा। फिर किसी भी दल में राजनीति का विकल्प हमेशा के लिए खुल जाएगा।